सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

भारतीय नव वर्ष-विक्रम संवत्, शंक संवत्, हिजरी संवत, पोंगल, गुड़ी पड़वा इत्यादि

हमारा नया साल दोस्तों 1 जनवरी से प्रारंभ होने वाले वार्षिक कैलेंडर को हम सभी जानते हैं हम इसे ईसवी सन के नाम से जानते हैं जिसका संबंध ईसाई जगत व ईसा मसीह से है। इसे रोम के सम्राट जूलियस सीजर द्वारा ईशा के नाम पर प्रचलन में लाया गया। भारत में ईसवी सन का प्रचलन अंग्रेजों शासकों ने 1752 में किया। 1752 से पहले भारत में वर्ष की शुरुआत 25 मार्च से होती थी, लेकिन 18वी शताब्दी से इसकी शुरुआत 1 जनवरी से होने लगी। हलाकि स्वतंत्र भारत में अधिकारिक रूप से ईसवी सन के साथ विक्रम संवत और शक संवत का इस्तेमाल भी होता है। आइए जानते हैं देश में प्रचलित ऐसे संवत के बारे में। विक्रम संवत विक्रम संवत की शुरुआत राजा विक्रमादित्य ने 57 ईसा पूर्व में की थी। विक्रमादित्य ने शकों के आक्रमण से मुक्ति दिलाई थी उसकी विजय स्मृति इसकी शुरुआत हुई। कहा जाता है कि राजा विक्रमादित्य ने अपनी प्रजा का ऋण खुद चुका कर इसकी शुरुआत की थी। पौराणिक कथा के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना आरंभ की थी, इसलिए हिंदू इस तिथि को नव वर्ष का आरंभ मानते हैं। स्तिथि से ही चैत्र नवरात्र भी शुरू

विश्व की प्रसिद्ध कहानी-नेकलेस

नेकलेस   श्रीमती मैटिल्डा लौइसल सुंदर और महत्वाकांक्षी महिलाओं में से थी,  जिन्हें विधाता भूल से क्लर्कों के परिवार में जन्म दे देता है। वह शान के साथ रहना चाहती थी, अफसरों के सामान उसे ऐश्वर्य से प्रेम था। वह अपनी गरीबी से दुखी रहती थी। एक बार उसे और उसके पति को शिक्षा विभाग की मंत्री के यहां होने वाली पार्टी के लिए निमंत्रण मिला। लेकिन इस निमंत्रण को पाकर मैं मैटिल्डा का दुख और भी बढ़ गया। अमीरों की पार्टी में जाने के लिए उसके पास उत्तम वस्त्र नहीं थे पति ने कोरी कोरी करके बचाए हुए अपने 400 फ्रेंक खर्च करके उसके लिए अच्छे वस्त्र बनवा दिए। लेकिन एक अड़चन और थी उसके पास कोई आभूषण नहीं था। इसकी भी एक तरकीब निकल आई वह अपनी स्कूल की सहपाठी अमीर श्रीमती फोरस्टियर से हीरो का एक नेकलेस मांग लाई। उस पार्टी में सबसे अधिक सुन्दर  वह ही लग रही थी बड़े बड़े अफसरों की पत्नियों को उससे डाह होने लगी। हर पुरुष उसका परिचय प्राप्त करना चाहता था। वे अत्यधिक उत्साह से सारी रात नाचती रही। सुबह अपने पति के साथ लौटी तो उसका अभिमान बढ़ा हुआ था। लौटते समय सर्दी से बचने के लिए जो कोर्ट वह अपने लिए लाई थ

प्रागैतिहासिक काल-पुरापाषाण काल, मध्य पाषाण काल, नवपाषाण काल

प्रागैतिहासिक ल         पुरापाषाण काल   संभवतया 500000 वर्ष पूर्व द्वितीय हिम  के प्रारंभ काल में  भारत में मानव का अस्तित्व प्रारंभ हुआ। कुछ विद्वानों के अनुसार मानव का अस्तित्व सर्वप्रथम दक्षिण भारत में हुआ जहां सेेे वह उत्तर-पश्चिमी पंजाब गया। परंतु कुछ अन्य इतिहासका अनुसार  मानव अस्तित्व का प्रारंभ सर्वप्रथम सिंधु और झेलम नदी केेे उत्तर पश्चिम केेे पंजाब प्रदेश और जम्मूू में हुआ । तत्पश्चा मानव इस युग में गंगा यमुना के दोआब को छोड़कर राजपूतानाा, गुजरात , बंगाल ,बिहार,उड़ीसा और संपूर्ण दक्षिण भारत में फैल गया। भारत के इन विभिन्न स्थानों पर इस युग के मानव द्वारा प्रयोग में लाए जाने वाले हथियार प्राप्त हुए हैं। अनुमानतय  यह युग ईसा पूर्व  25000 वर्ष पूर्व तक माना गया है।  पुरापाषाण काल को भी अब तीन भागों में विभक्त किया गया है १- पूर्व पुरापाषाण काल-पूर्व पुरापाषाण काल  के अवशेष उत्तर पश्चिम के सोहन क्षेत्र (सोहन सिंधु नदी की एक सहायक नदी थी) मैं प्राप्त हुए हैं। इस काल के अवशेष नर्मदा नदी तथा उसकी सहायक नदियों की घाटियों में प्राय आधे दर्जन स्थानों में प्राप्त हुए ह

प्राचीन भारतीय इतिहास जानने के स्रोत

प्राचीन भारतीय  इतिहास के स्रोत नमस्ते दोस्तों आज  मै  आप सब को प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत के बारे में बताऊंगी  स्रोत इस प्रकार है  १ .साहित्यिक स्रोत धार्मिक साहित्य - धार्मिक साहित्य में हिन्दू ,बौद्ध और जैन धर्म ग्रन्थ शामिल है   |  1.हिन्दू धर्म ग्रन्थ -हिन्दू धर्म ग्रन्थ के अंतर्गत प्रमुख स्थान सहिताओं का है जिनमे चार वेद -ऋग्वेद ,सामवेद ,यजुर्वेद,अथर्ववेद शामिल है। इनके अलावा ब्राह्मण (एतरेय ,शतपथ ,पंचविंश आदि ),उपनिषद आरण्यक ,वेदांग या उपवेद (शिक्षा ,क्लप ,व्याकरण आदि -कुल छः )उपवेद (आयुर्वेद ,धनुर्वेद आदि ),सूत्र ग्रन्थ (धर्म सूत्र ,गृहसूत्र आदि )स्मृति ग्रन्थ (मनु -स्मृति ,नारद स्मृति, गौतम स्मृति,बृहस्पति स्मृति आदि )पुराण (विष्णु पुराण ,मत्स्य पुराण वायु पुराण आदि -कुल १८ )और गाथा ग्रन्थ (रामायण और महाभारत )प्रमुख ग्रन्थ है। इनसे हमे वैदिक काल और उसके बाद के समय के राजनैतिक और तात्कालिक सभ्यता और संस्कृति का ज्ञान प्राप्त होता है।  ऋग्वेद से हमे पूर्व -वैदिक काल की सभ्यता का पता चलता हैं जबकि अन्य तीनो वेदो से उत्तर -वैदिक काल की सभ्यता का

A.P.J.ABDUL KALAM motivational inspirational quotes in hindi

एपीजे अब्दुल कलाम प्रेणादायक विचार  सपने वो नहीं जो हम सोते हुए देखते है ,सपने वो है जो  हमें सोने नहीं देते |  महान सपने देखने वालो के महान सपने हमेशा पुरे होते हैं |  शिखर तक पहुंचने के लिए ताकत चाहिए होती हैं ,चाहे वो माउंट एवरेस्ट का शिखर हो या आप का पेशा |  क्या हम यह नहीं जानते कि आत्म - सम्मान आत्म निर्भरता के साथ आता हैं ? कत्रिम सुख की बजाय ठोस उपलब्धियों के पीछे समर्पित रहिये |  अंग्रेजी आवश्यक हैं क्योकि वर्तमान में विज्ञान के मूल काम अंग्रेजी में है | मेरा विश्वास है की अगले दो दशक में विज्ञान के मूल काम हमारी भाषाओ में आने शुरू हो जायेगे ,तब हम जापानियों की तरह आगे बढ़ सकेंगे |  जब तक भारत दुनिया में अपने कदमो पर खड़ा नहीं हैं ,तब तक हमे कोई आदर नहीं करेगा | इस दुनियाँ में डर के लिए कोई जगह नहीं है | केवल ताकत का ही  सम्मान करती है |  यूद्ध किसी भी समस्या का स्थाई  हल नहीं है |  चूँकि हम सब भगवान के पुत्र है इसलिए हम हर उस चीज से बड़े है जो हममें हो सकती है |  जो लोग आधे -अधूरे मन से कोई काम करते है उन्हें आधी -अधूरी ,खोखली सफलता मिलती है जो चारो और करवाहट भ

कविता- माँ

माँ  नमस्कार दोस्तों आज मै  आप लोगो से अपने द्वारा लिखित कविता माँ साझा कर रही हूँ  | यहाँ कविता मैंने  बचपन में लिखा था  जब  शायद  मैं  8वी  क्लास में थी  | मुझे बचपन से ही कविता लिखने का शोक रहा है  तो मैने  सोचा क्यों न आप सभी से साझा करू ,मुझे अपनी माँ  जैसी है उसकी हिसाब से कविता लिखा है शायद आप लोगो की माँ भी मेरी माँ जैसी हो बहुत प्यारी और  हमें जान से भी ज्यादा चाहने वाली हो  तो प्रियो मित्रो आप मेरे दुवारा लिखित कविता पढ़े और मुझे बताये कैसा लगा आप को आप को भी अपना बचपन याद आया की नहीं वैसे हम कितने भी बड़े क्यों न हो जाये माँ का प्यार कभी नहीं बदलता यही सच्चाई है |हमे  भी अपनी माँ से उतना ही प्यार करना चाहिए जितना वो हम से करती है लेकिन माँ जैसा  कोई  नहीं हो सकता | माँ धरती पर भगवान का रूप है क्युकि जितना माँ करती है हमारे लिए और कोई नहीं कर सकता हमारे दुखी होने पर माँ हमसे ज्यादा दुखी होती है और हमारे खुश होने पर वो हमसे ज्यादा खुश  होती है |आज मै भी एक माँ हूँ इसलिए जानती हु जब हम बहुत छोटे होते है उस समय वो कितना समझौता करती है हर कुछ से सिर्फ अपने बच्चे के लिए, बच्चा

Anmol wachan

अनमोल वचन                      10 महत्पूर्ण अनमोल वचन  सफलता  हासिल करने का पहला गुरुमंत्र यह है की मंजिल निर्धारित किया जाए ओर फिर प्रयास शुरू किये जाए |  अगर धैयशीलता है तो बड़ी से बड़ी मुसीबत टल सकती है अतः मुसीबत मे घिर जाने पर हौसला रखना सीखिए |  सादगी और कम बोलने से बहुत कुछ मिलता है | ज्यादा तर्क देने से कुछ नहीं मिलता बल्कि उपहास उड़ता है |  यदि आप अपनी बुरी आदतों को त्यागने का मन बना लेते है तो आप अच्छा बन सकते है |  सबसे प्रेम करो और मुसीबत के दौरान भी धैर्य बनाये रखो तो आप बुद्धिमान और महान कहलाओ |  यदि आप ईश्वर को स्मरण भी कर लेते है तो भी आप  आस्थावान ही कहलायेगे |  अपने मन की हर बात खुलकर कह देने से आप दुसरो का दिल जीत सकते है |  स्वय की उन्नति मे ध्यान दो तो दूसरों की निंदा का समय ही नहीं मिलेगा |  आप वक्त को बदल नहीं सकते इसलिए खुद को बदलने की कोशिश करें ,वक्त आपके अनुकूल हो जाएगा |  विचार सकारात्मक हों तो सफलता अपने आप मिल जाती हैं |                                                                                                धन्यवाद 

नर हो न निराश करो मन को

                      नर हो न निराश करो मन को         कुछ काम करो कुछ काम करो    जग में रह कर कुछ काम करो    यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो    समझो जिसमें यह व्यर्थ न हो    कुछ तो उपयुक्त करो तन को     न  निराश करो मन को   |                                                                                                                                 सँभलो की सुयोग न जाए चला                                                             कब व्यर्थ सदुपाय भला ?                                                             समझों जग को न निरा सपना                                                             पथ आप प्रशस्त करो अपना                                                             अखिलेश्वर हैं अवलंबन को                                                             नर हो न निराश करो मन को ||  निज गौरव का नित ज्ञान रहे  "हम भी कुछ हैं " यह ध्यान रहे  सब जाए अभी,पर मान रहे  मरने पर गुंजित गान रहे  कुछ हो ,न तजो निज साधन को  नर हो न निराश करो

मंजिल तुझे बुला रहीं हैं चल प्यारे तु आगे बढ़

नमस्कार दोस्तों कैसे हो आप सब मुझे विश्वास है अच्छे होंगे तो आज मैं  साझा कर रही हूँ मेरे दुवारा रचित कविता मंजिल मुझे यह कविता बहुत पसंद है क्योंकि यह  मेरे अनुभव के दुवारा लिखित कविता है  | इंसान की सबसे बड़ी  ताकत उसकी अपनी सोच है जैसा वो सोचेगा उसके साथ वैसे ही होगा क्युकी जो कुछ भी होता है वो हमारे सोच का ही परिणाम होता है करने से पहले इंसान सोचता ही है फिर करता है इसलिए जैसा सोचेंगे वैसे ही करेंगे तो मेरा कहना यही है अपने सोच को बुलंद रखे तभी अपनी मंजिल पर पहुंच सकते है ,आगे बढ़ने में परेशानी तो होती ही है ,इसका मतलब ये नहीं है की हम आगे बढ़ना ही छोड़ दे इसलिए हारने के बाद भी जीतने के बारे में सोचना चाहिए और जब तक हम जिन्दा  है तब तक हमें आगे बढ़ने के बारे में सोचाना है । इसी उम्मीद के साथ आज मैं यह कविता साक्षा कर रहीं हूँ, मुझे उम्मीद है कि आप को मेरा कविता अच्छा लगें । मंजिल तुम्हे बुला रही हैं , चल प्यारे तू आगे बढ़ , न घबरा प्यारे आगे बढ़ , यू निराश न कर मन को , तू आगे बढ़ |                                                                      तू गिर कर फिर खड़ा

सरस्वती वंदना

वीणा  वादिनी  वर  दे  ;                                                                                                                                                                  प्रिय  स्वतंत्र  रव  ,अमृत  मंत्र  नव                                                                                    भारत मैं भर  दे , काट अन्ध उर के बन्धन स्तर                                                                बहा जननि  ज्योतिमर्य  निर्झर  कलुष भेद तम हर प्रकाश भर                                                      जगमग  जग  कर  दे , वीणा  वादिनी  वर  दे  , वर  दे  ---------------------------------------                               नव  गति  नव  लय  ताल  छंद  नव  नवल  कंठ  नव  जलद  मन्द्र  नव   नव  नभ  के नव विहग   वृंद  को                                                     नव  पर नव  स्वर दे           वीणा वादिनी  वर   दे ,वर  दे | ------------------------------------