हमारा नया साल
दोस्तों 1 जनवरी से प्रारंभ होने वाले वार्षिक कैलेंडर को हम सभी जानते हैं हम इसे ईसवी सन के नाम से जानते हैं जिसका संबंध ईसाई जगत व ईसा मसीह से है। इसे रोम के सम्राट जूलियस सीजर द्वारा ईशा के नाम पर प्रचलन में लाया गया। भारत में ईसवी सन का प्रचलन अंग्रेजों शासकों ने 1752 में किया। 1752 से पहले भारत में वर्ष की शुरुआत 25 मार्च से होती थी, लेकिन 18वी शताब्दी से इसकी शुरुआत 1 जनवरी से होने लगी। हलाकि स्वतंत्र भारत में अधिकारिक रूप से ईसवी सन के साथ विक्रम संवत और शक संवत का इस्तेमाल भी होता है। आइए जानते हैं देश में प्रचलित ऐसे संवत के बारे में।
विक्रम संवत
विक्रम संवत की शुरुआत राजा विक्रमादित्य ने 57 ईसा पूर्व में की थी। विक्रमादित्य ने शकों के आक्रमण से मुक्ति दिलाई थी उसकी विजय स्मृति इसकी शुरुआत हुई। कहा जाता है कि राजा विक्रमादित्य ने अपनी प्रजा का ऋण खुद चुका कर इसकी शुरुआत की थी। पौराणिक कथा के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना आरंभ की थी, इसलिए हिंदू इस तिथि को नव वर्ष का आरंभ मानते हैं। स्तिथि से ही चैत्र नवरात्र भी शुरू होते हैं। विक्रम संवत में समय की गणना सूर्य और चांद के आधार पर की जाती है यानी दिन, सप्ताह, मास और वर्ष की गणना पूरी तरह से वैज्ञानिक है। गणितीय दृष्टि से यह संवत सटीक माना जाता है । भारतीय परंपरा में ऐसे ही राष्ट्रीय संवत भी माना जाता है। अभी विक्रम संवत 2074 चल रहा है।
शंक संवत
शक संवत भारत का राष्ट्रीय कैलेंडर है जिसका आरंभ 78 ईस्वी में हुआ था। कुषाण राजा कनिष्क महान ने अपने राज्य रोहन को उत्सव के रूप में मनाने और उस स्थिति को यादगार बनाने के लिए इसकी शुरुआत की थी। इसकी पहली तिथि चेत्र के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा है। इसी तिथि पर कनिष्क ने राज्यसत्ता संभाली थी। अन्य संवतो की तुलना में इसे भी अधिक वैज्ञानिकों और त्रुटिहीन माना जाता है। हर वर्ष प्रायः 22 मार्च को यह शुरू होता है। इस दिन सूर्य विषुवत रेखा के ऊपर होता है, जिसके कारण दिन और रात बराबर होते हैं। शंक संवत के दिन 365 दिन होते हैं और किसका लीप ईयर भी अंग्रेजी ग्रेगोरियन कैलेंडर के साथ होता है। लीप ईयर होने पर शंक संवत 23 मार्च को शुरू होता है और उसमें 366 दिन होते हैं। अभी शंक संवत 1939 चल रहा है।
हिजड़ी सन या संवत
इसकी शुरुआत 622 ईसवी में हुई थी। इस्लामी कैलेंडर की गणना चांद के अनुसार होती है। इसके नए वर्ष का आरंभ मोहर्रम की पहली तारीख से होता है। हिजरी सन के नाम से लोकप्रिय इस कैलेंडर का नया साल हाल में शुरू हुआ है। इस समय हिजरी सन 1439 रहा है।
अन्य नववर्ष
ओणम, मलयाली समाज में नया वर्ष ओणम से मनाया जाता है। इस दिन प्रतिवर्ष विभिन्न सांस्कृतिक आयोजन किए जाते हैं। ओणम मलयाली माह छिंगम यानी अगस्त और सितंबर के मध्य मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन राजा बलि अपनी प्रजा से मिलने धरती पर आते हैं। उनके स्वागत के लिए ही घरों में फूलों की रंगोली सजाई जाती है और स्वादिष्ट पकवान बनाए जाते है।
पोंगल
तमिल नववर्ष पोंगल से प्रारंभ होता है। इसे ही तमिल वहां की 1 तारीख मानी गई है। यह प्रतिवर्ष 14 15 जनवरी को मनाया जाने वाला बड़ा त्यौहार है। पोगल में सूर्य देव को जो प्रसाद अर्पित किया जाता है, उसे पोंगल कहते हैं। चार दिनों का यह त्यौहार नई फसल आने की खुशी में मनाते हैं।
बैसाखी
पंजाबी समुदाय अपना नव वर्ष वैशाखी के रूप में मनाता है। यह त्यौहार नई फसल आने की खुशी में मनाया जाता है। इस दिन भांगड़ा और गिद्दा करके खुशी मनाई जाती है।
गुड़ी पड़वा
मराठी परिवारों में चैत्र माह की प्रतिपदा को नव वर्ष की शुरुआत होना माना जाता है। इस दिन बाद बॉस को नई साड़ी पहना कर उस पर तांबे या पीतल के लोटे को रखकर गुड़ी बनाई जाती है और उसकी पूजा की जाती है। गुड़ी के घरों के बाहर लगाया जाता है और सुख संपनता की कामना की जाती है।
नवरोज
पारसियों द्वारा मनाए जाने वाले नव वर्ष नवरोज का प्रारंभ 3000 साल पहले हुआ। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन फ्रांस के राजा जमशेद मैं सिंहासन ग्रहण किया था। उस दिन से इसे नवरोज कहा जाने लगा। राजा जमशेद ने ही पारसी कैलेंडर की स्थापना की थी। नवरोज को जमशेदी नवरोज भी कहते हैं। 19 अगस्त को मनाया जाता है।
वीर निर्वाण संवत
जैन समुदाय का नया साल दीपावली के दिन माना जाता है। इसे वीर निर्वाण संवत कहते हैं। वर्तमान में 2538 वीर निर्वाण संवत चल रहा है।
धन्यवाद दोस्तों
दोस्तों 1 जनवरी से प्रारंभ होने वाले वार्षिक कैलेंडर को हम सभी जानते हैं हम इसे ईसवी सन के नाम से जानते हैं जिसका संबंध ईसाई जगत व ईसा मसीह से है। इसे रोम के सम्राट जूलियस सीजर द्वारा ईशा के नाम पर प्रचलन में लाया गया। भारत में ईसवी सन का प्रचलन अंग्रेजों शासकों ने 1752 में किया। 1752 से पहले भारत में वर्ष की शुरुआत 25 मार्च से होती थी, लेकिन 18वी शताब्दी से इसकी शुरुआत 1 जनवरी से होने लगी। हलाकि स्वतंत्र भारत में अधिकारिक रूप से ईसवी सन के साथ विक्रम संवत और शक संवत का इस्तेमाल भी होता है। आइए जानते हैं देश में प्रचलित ऐसे संवत के बारे में।
विक्रम संवत
विक्रम संवत की शुरुआत राजा विक्रमादित्य ने 57 ईसा पूर्व में की थी। विक्रमादित्य ने शकों के आक्रमण से मुक्ति दिलाई थी उसकी विजय स्मृति इसकी शुरुआत हुई। कहा जाता है कि राजा विक्रमादित्य ने अपनी प्रजा का ऋण खुद चुका कर इसकी शुरुआत की थी। पौराणिक कथा के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना आरंभ की थी, इसलिए हिंदू इस तिथि को नव वर्ष का आरंभ मानते हैं। स्तिथि से ही चैत्र नवरात्र भी शुरू होते हैं। विक्रम संवत में समय की गणना सूर्य और चांद के आधार पर की जाती है यानी दिन, सप्ताह, मास और वर्ष की गणना पूरी तरह से वैज्ञानिक है। गणितीय दृष्टि से यह संवत सटीक माना जाता है । भारतीय परंपरा में ऐसे ही राष्ट्रीय संवत भी माना जाता है। अभी विक्रम संवत 2074 चल रहा है।
शंक संवत
शक संवत भारत का राष्ट्रीय कैलेंडर है जिसका आरंभ 78 ईस्वी में हुआ था। कुषाण राजा कनिष्क महान ने अपने राज्य रोहन को उत्सव के रूप में मनाने और उस स्थिति को यादगार बनाने के लिए इसकी शुरुआत की थी। इसकी पहली तिथि चेत्र के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा है। इसी तिथि पर कनिष्क ने राज्यसत्ता संभाली थी। अन्य संवतो की तुलना में इसे भी अधिक वैज्ञानिकों और त्रुटिहीन माना जाता है। हर वर्ष प्रायः 22 मार्च को यह शुरू होता है। इस दिन सूर्य विषुवत रेखा के ऊपर होता है, जिसके कारण दिन और रात बराबर होते हैं। शंक संवत के दिन 365 दिन होते हैं और किसका लीप ईयर भी अंग्रेजी ग्रेगोरियन कैलेंडर के साथ होता है। लीप ईयर होने पर शंक संवत 23 मार्च को शुरू होता है और उसमें 366 दिन होते हैं। अभी शंक संवत 1939 चल रहा है।
हिजड़ी सन या संवत
इसकी शुरुआत 622 ईसवी में हुई थी। इस्लामी कैलेंडर की गणना चांद के अनुसार होती है। इसके नए वर्ष का आरंभ मोहर्रम की पहली तारीख से होता है। हिजरी सन के नाम से लोकप्रिय इस कैलेंडर का नया साल हाल में शुरू हुआ है। इस समय हिजरी सन 1439 रहा है।
अन्य नववर्ष
ओणम, मलयाली समाज में नया वर्ष ओणम से मनाया जाता है। इस दिन प्रतिवर्ष विभिन्न सांस्कृतिक आयोजन किए जाते हैं। ओणम मलयाली माह छिंगम यानी अगस्त और सितंबर के मध्य मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन राजा बलि अपनी प्रजा से मिलने धरती पर आते हैं। उनके स्वागत के लिए ही घरों में फूलों की रंगोली सजाई जाती है और स्वादिष्ट पकवान बनाए जाते है।
पोंगल
तमिल नववर्ष पोंगल से प्रारंभ होता है। इसे ही तमिल वहां की 1 तारीख मानी गई है। यह प्रतिवर्ष 14 15 जनवरी को मनाया जाने वाला बड़ा त्यौहार है। पोगल में सूर्य देव को जो प्रसाद अर्पित किया जाता है, उसे पोंगल कहते हैं। चार दिनों का यह त्यौहार नई फसल आने की खुशी में मनाते हैं।
बैसाखी
पंजाबी समुदाय अपना नव वर्ष वैशाखी के रूप में मनाता है। यह त्यौहार नई फसल आने की खुशी में मनाया जाता है। इस दिन भांगड़ा और गिद्दा करके खुशी मनाई जाती है।
गुड़ी पड़वा
मराठी परिवारों में चैत्र माह की प्रतिपदा को नव वर्ष की शुरुआत होना माना जाता है। इस दिन बाद बॉस को नई साड़ी पहना कर उस पर तांबे या पीतल के लोटे को रखकर गुड़ी बनाई जाती है और उसकी पूजा की जाती है। गुड़ी के घरों के बाहर लगाया जाता है और सुख संपनता की कामना की जाती है।
नवरोज
पारसियों द्वारा मनाए जाने वाले नव वर्ष नवरोज का प्रारंभ 3000 साल पहले हुआ। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन फ्रांस के राजा जमशेद मैं सिंहासन ग्रहण किया था। उस दिन से इसे नवरोज कहा जाने लगा। राजा जमशेद ने ही पारसी कैलेंडर की स्थापना की थी। नवरोज को जमशेदी नवरोज भी कहते हैं। 19 अगस्त को मनाया जाता है।
वीर निर्वाण संवत
जैन समुदाय का नया साल दीपावली के दिन माना जाता है। इसे वीर निर्वाण संवत कहते हैं। वर्तमान में 2538 वीर निर्वाण संवत चल रहा है।
धन्यवाद दोस्तों
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