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मंजिल तुझे बुला रहीं हैं चल प्यारे तु आगे बढ़


नमस्कार दोस्तों कैसे हो आप सब मुझे विश्वास है अच्छे होंगे तो आज मैं  साझा कर रही हूँ मेरे दुवारा रचित कविता मंजिल मुझे यह कविता बहुत पसंद है क्योंकि यह  मेरे अनुभव के दुवारा लिखित कविता है  | इंसान की सबसे बड़ी  ताकत उसकी अपनी सोच है जैसा वो सोचेगा उसके साथ वैसे ही होगा क्युकी जो कुछ भी होता है वो हमारे सोच का ही परिणाम होता है करने से पहले इंसान सोचता ही है फिर करता है इसलिए जैसा सोचेंगे वैसे ही करेंगे तो मेरा कहना यही है अपने सोच को बुलंद रखे तभी अपनी मंजिल पर पहुंच सकते है ,आगे बढ़ने में परेशानी तो होती ही है ,इसका मतलब ये नहीं है की हम आगे बढ़ना ही छोड़ दे इसलिए हारने के बाद भी जीतने के बारे में सोचना चाहिए और जब तक हम जिन्दा  है तब तक हमें आगे बढ़ने के बारे में सोचाना है ।
इसी उम्मीद के साथ आज मैं यह कविता साक्षा कर रहीं हूँ, मुझे उम्मीद है कि आप को मेरा कविता अच्छा लगें ।
मंजिल तुम्हे बुला रही हैं ,
चल प्यारे तू आगे बढ़ ,
न घबरा प्यारे आगे बढ़ ,
यू निराश न कर मन को ,
तू आगे बढ़ |                               
                                      तू गिर कर फिर खड़ा हो ,
                                      रास्ते मे होंगे खतरे अनेक ,
                                      मिलेंगे ढोंगी ,बदमाश चालबाज ,
                                      तू इनसे मत डर चल प्यारे ,
                                             तू आगे बढ़ | 
घबरा न यू कठनाईयो से ,
सुख -दुःख आता जाता है ,
दुःख मे घबरा न ,छोड़ न दे अपनी मंजिल ,
सुख फिर आयेगा प्यारे , 
तू हौसला तो रख | 
                                                 बन ऐसा जो दुनियाँ ,
                                            तेरा नाम गर्व से कहे ,
                                            तेरे संघर्ष की कहानियाँ ,
                                          सुन दुनियाँ चलेगी तेरी ,
                                                  राह पर 
मंजिल तुझे बुला रही है चल प्यारे तू आगे बढ़ | | 
                                                  



                                       compose by 
                                                         Alka chaudhary 

                                                   




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